जन्म से लेकर छ महीने तक के शिशुओं को मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है । छः महीने बाद उनके डाइट में जरूरी पोषक तत्व जोड़े जाते हैं। बच्चों के डाइट में ग्रीन बीन्स जोड़ना बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। ऐसे ही पोषक तत्व से भरपूर ग्रीन बीन्स जिसके अंदर ऊर्जा, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम, पोटेशियम, जिंक सेलेनियम, विटामिन-बी सिक्स आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं जो बच्चों के सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं। ग्रीन बीन्स के सेवन से बच्चों को क्या फायदे हो सकते हैं। साथ ही नुकसान और जरूरी सावधानियां के बारे में भी जानेंगे।
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बीन्स खिलाने से छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को होने वाले फायदे
बीन्स बच्चों के स्वास्थ्य के लिए होने वाले फायदे-
1. बच्चों के पाचन क्रिया में सुधार
काबुली चना और राजमा में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है, इससे बच्चों का पाचन क्रिया मजबूत बनाता है।
2. पेट को भरा रखने में मदद करता है
काबुली चने जैसे कुछ बीन्स प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है जिससे पेट भरे हुए होने का एहसास होता है। बच्चों को खिलाने से ओवरफीडिंग से बचा जा सकता है।
3. उचित विकास में मददगार
राजमा जैसी बीन्स, फोलेट के बेहतरीन स्त्रोत होती है, जो कि बच्चों में रेड ब्लड सेल्स के विकास में मदद करता है। इस प्रकार जरूरी अंगों के सामान्य विकास और कार्यप्रणाली को बढ़ावा मिलता है। शिशुओं को उनके दिमाग के स्वस्थ विकास के लिए फोलेट की जरूरत होती है।
4.इम्यून सिस्टम को बनाता है मजबूत
सोयाबीन जैसे कुछ बीन्स, विटामिन-सी से भरपूर होती हैं और आपके बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। ये बच्चे के खांसी, ज़ुकाम और फ्लू जैसे आम बिमारियों से बचाती है। ये फ्री-रेडिकल्स को कंट्रोल करने में मदद करता है और इस प्रकार बच्चों के स्वास्थ्य को इम्यूनिटी प्रदान करता है।
पेट को साफ रखने में करता है मदद
बीन्स में भारी मात्रा में डाइटरी फाइबर मौजूद होते है, जो कि बच्चे के बॉवेल मूवमेंट को रेगुलेट करने में मदद कर सकता है। बड़ी आंत से गंदगी को बाहर निकालने में भी, डाइटरी फाइबर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, और इस प्रकार बच्चों को बिमारियों से बचाने में मदद करता है। लेकिन आपको इन्हें बच्चे को कम मात्रा में खिलाना चाहिए। नहीं तो इनसे गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं हो सकती है।
मांशपेशियों के निर्माण में मददगार
सोयाबीन जैसे बीन्स में भारी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि मांसपेशियों के विकास में मदद कर सकता है। जो पेरेंट्स अपने बच्चों को मीट नहीं देना चाहते, उनके लिए यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
मेटाबॉलिज्म में सुधार लाने में सहायक
ब्लैक बीन्स जैसे बीन्स, अल्कलॉइड्स, फ्लेवोनॉयड्स से भरपूर होती है, जो कि बच्चों के शरीर में मेटाबॉलिज्म के दौरान पैदा होने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करना जरूरी होता है, क्योंकि यह बच्चों की कोशिकाओं और कभी कभी डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बच्चों के लिए बीन्स पकाने और खिलाने का बेस्ट तरीका
अक्सर पेरेंट्स के मन में यह सवाल आता है कि अपने बच्चे के लिए बीन्स कैसे बनाएं और खिलाएं, तो इसलिए बच्चों के लिए बीन्स बनाने का बेहतरीन तरीका नीचे दिए गया है-
- थोड़ी सी उबली हुई बीन्स और थोड़े से उबले हुए शकरकंद के साथ पीसकर प्यूरी बना लें। इसमें एक बूंद पिघला हुआ घी डालें और अब अपने बच्चे को यह स्वादिष्ट प्यूरी खिलाएं।
- थोड़ी सी बीन्स को मसल लें। मसलें हुए बीन्स में थोड़ी सी दही मिलाकर अपने बच्चे को खिलाएं।
- चावल के साथ पकी हुई थोड़ी सी बीन्स अपने बच्चे के लिए संतुलित भोजन तैयार कर सकती हैं।
- बच्चे की पंसद के किसी फल में ब्लैक बीन्स और छोटे आकार के एवोकाडो को दही मिलाकर खिला सकती है। यह बच्चे के लिए फिंगर फूड बन जाता है।
- काबुली चने की प्यूरी बनाकर स्वादिष्ट हमस बनाया जा सकता है जो कि बच्चे के खाने के लिए काफी आसान होता है।
- पीसे हुए काबुली चने या पिंटो बीन्स को प्यूरी की हुई गाजर और पके हुए टमाटर के साथ मिलाकर पीस लें और बच्चे को खिलाएं।
बच्चे को बीन्स खिलाते समय कुछ सावधानियां
बच्चे को बीन्स खिलाते समय आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए-
- बच्चे को छोटी छोटी मात्रा में बीन्स खिलाएं, क्योंकि भारी मात्रा प्रोटीन, फाइबर होने के कारण गैस या अपच की समस्या हो सकती है।
- जब तक कि आपका बच्चा फली को चबाने के लिए तैयार नहीं हो जाता, तब तक आप बिना फली वाले बीन्स का चुनाव कर सकती है।
- छोटे बच्चे को बीन्स खिलाने के लिए बीन्स को मसलकर या पीसकर की खिलाएं, क्योंकि साबुत खिलाने से यह गले में अटक सकता है।
- डिब्बा बंद बीन्स के बजाय, उबली हुई सूखी बीन्स का चुनाव करें, क्योंकि इसमें प्रिजर्वेटिव और अत्यधिक सोडियम मौजूद होते हैं अगर आप फिर भी डिब्बे बंद बीन्स का इस्तेमाल करना चाहती है, तो ऐसे में अतिरिक्त सोडियम से छुटकारा पाने के लिए, उसे अच्छी तरह से धोएं या फिर लो-सोडियम वैराइट का इस्तेमाल करें।
नोट :- इस लेख में दी गयी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों से ली गयी है। जो की सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराने के लिए है। इसे उपयोग करने से पहले एक बार किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि आप इस टिप्स का उपयोग कर रहे हैं तो अपने अनुभव जरूर साझा करें। जिससे की और सभी पाठक को सटीक जानकारी प्राप्त हो सके।
Team : myhealth.thequizpro.com